दुख हों चाहे सुख हों, अपनी आँखों से न व्यर्थ छलकाओ। दुख हों चाहे सुख हों, अपनी आँखों से न व्यर्थ छलकाओ।
मुझे तन्हाई का एहसास बिलकुल होने ही नहीं देते हैं ! मुझे तन्हाई का एहसास बिलकुल होने ही नहीं देते हैं !
उसको देख कर मैं फिर बेहाल था क्या? और उसका भी यही सवाल था क्या? हम पास होकर भी क्यों उसको देख कर मैं फिर बेहाल था क्या? और उसका भी यही सवाल था क्या? हम पास होक...
कितने पल की जिंदगी है इस वक़्त को तो खुल के जीने दो। कल का क्या पता हम रहें न रहें आज कितने पल की जिंदगी है इस वक़्त को तो खुल के जीने दो। कल का क्या पता हम रहें...
हिम्मत से समन्दर में उतर जाते क्यूँ नहीं हिम्मत से समन्दर में उतर जाते क्यूँ नहीं
तुम ये भूल गयी थी कि तुम्हारे चक्र में मैं भी तो बंधा था ! तुम ये भूल गयी थी कि तुम्हारे चक्र में मैं भी तो बंधा था !